अश्विनी कुमार सोनी
स्वदेशी मंदिर स्वदेशी गुरुकुलम् राजीव दीक्षित अनुसंधान केंद्र
रविवार, 8 जनवरी 2012
पंचगव्य चिकित्सा और भारतीय गौवंश
शुक्रवार, 2 सितंबर 2011
A Horrible N Fact about KFC & McDonald
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Let's see the source of this wonderful dish |
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To make the liver bigger and fatter
Cages are very small and they force the geese to stay in one position to avoid using energy, thus converting all food into fat.
How sad their eyes show up Their legs were bloated from long standing everyday. No need to sleep because they will be caught to eat again
Although they try to defend themselves But it is useless |
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You see... the food is over its mouth
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Not only mouth hurt, throat hurt , all time stomach ache from the food , Fat to bloated legs , no sleep , no exercise But also no free movement for life to see the sky or river |
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To get the beautiful and white liver that becomes unusually big like this
As Liver-canned from aboard
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William Arthur Ward
मंगलवार, 16 अगस्त 2011
पानी साफ करती जादुई फली
सुखाई गई फली को जब पाउडर बनाकर पानी में डाला जाता है तो वह गुच्छा बनाने या एकत्रीकरण का कार्य करती है। पानी को शुद्ध करने के लिए एकत्रीकरण पहली शर्त है। इस रूप में इस फली के बीज फिटकरी व अन्य कृत्रिम रसायनों का स्थानापन्न है। ये रसायन पर्यावरण एवं स्वास्थ्य दोनों को ही हानि पहुंचाते हैं। फिटकरी को तो अल्जीमर्स नामक बीमारी तक से जोड़ा गया है। यह तो सुनिश्चित हो गया है इसके बीज का सत गुच्छे बनाने के संवाहक के रूप में कार्य करता है लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह सूक्ष्मतम स्तर पर किस तरह कार्य करता है।
फरवरी 2010 में लेंगमुइर पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र जो कि स्वीडन स्थित उप्पसला विश्वविद्यालय द्वारा बोत्सवाना विश्वविद्यालय को दिए गए तकनीकी सहयोग से तैयार हुआ था, में बताया गया है कि किस तरह ये बीज अशुद्ध कणों को एकसाथ इकट्ठा करते हैं। वैसे ये बीज बोत्सवाना में पीढ़ियों से पारम्परिक रूप से जल शुद्धिकरण के कार्य में आते रहे हैं। ये आपस में जोड़ने वाले तत्व एक साथ इकट्ठा होकर गुच्छों में परिवर्तित हो जाते हैं और नीचे बैठ जाते हैं। सुरजना की फली के बीज बैक्टीरिया का भी नाश करते हैं।
उप्पसला विश्वविद्यालय के भौतिक एवं खगोलशास्त्र विभाग के प्राध्यापक एवं शोधकर्ता एड्रेन रिन्नी का कहना है कि गुच्छा बनने की प्रक्रिया को समझना बहुत जरुरी है, क्योंकि उसी के बाद हम इससे संबंधित प्राकृतिक पदार्थों का संभाव्य उपयोग कर पाएंगे। इसी कारण से हमें बीज की मात्रा और बनावट पर ध्यान देना होगा जो कि अवयवों को आपस में जोड़ती है।
यह पेड़ मूलतः भारत में विकसित हुआ है। अतएव इसकी स्थानीय उपलब्धता के कारण इसे साफ व सुरक्षित पानी उपलब्ध करवाने के वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में देखा जा सकता है। भारत में पेयजल आपूर्ति विभाग ने ग्रामीण पेयजल आपूर्ति एवं सेनीटेशन परियोजनाओं को लेकर दो खंडों में सारगर्भित प्रकाशन किया है। एक स्वीकृत अध्ययन में तमिलनाडु के गांवों में 1999 से 2002 के मध्य फली के बीजों को शुद्धिकरण की प्रक्रिया के रूप में इस्तेमाल किया गया था। यह अध्ययन कोयम्बटूर के अविनाशलिंगम इंस्ट्टियूट फॉर होम साइंस एण्ड हायर एजुकेशन फार वुमेन द्वारा भवानी नदी के तट पर स्थित उन तीन गांवों में किया गया था, जहां पर कि नदी का पानी पीने योग्य नहीं था।
कोयंबटूर अध्ययन की मुख्य वैज्ञानिक जी.पी.जयन्थी का कहना है कि ‘फली के पाउडर ने पानी की गंदगी और बेक्टीरिया की संख्या में काफी कमी की है।’ परंतु उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि यह पूर्ण समाधान नहीं है। इसे उस आनलाइन मापदंड के नजरिए से देखना चाहिए जिसके अनुसार सुरजना की फली का बार-बार उपयोग, पीने योग्य पानी की गारंटी नहीं देता। इस हेतु कुछ अतिरिक्त उपचार की अनुशंसाएं की गई हैं। वैसे फरवरी 2010 में माइक्रोबायलाजी के नवीनतम मापदंड में इन बीजों के इस्तेमाल को सहमति प्रदान की गई है।इस आनलाइन शोध में विश्वभर में सर्वाधिक 11,500 शोधकर्ताओं के मापदंडों का संग्रह है। इसके अंतर्गत ग्रामीण इलाकों के गरीब लोगों को बजाए दूषित जल पीने के इन बीजों के प्रयोग की सलाह भी दी गई है।
शोध पत्र के अनुसार इसके माध्यम से गंदगी में 80 प्रतिशत से लेकर 99.5 प्रतिशत एवं बेक्टीरिया की संख्या में 90 प्रतिशत तक की कमी आती है। शोधपत्र में इसके प्रयोग हेतु सहयोगी प्रपत्र भी जारी किया गया है। इसके अनुसार गांव में बर्तनों में प्रति लीटर पानी में 100-200 व 400 मिलीग्राम पाउडर डालकर बर्तन को एक मिनट तक जोर से हिलाया जाए। इसके बाद उसे धीमे-धीमे हिलाने के बाद एक मिनट के लिए रखा जाए। तत्पश्चात ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ता तय करे की बीज की कितनी मात्रा उपयोग में लाई जाए। जयन्थी का कहना है कि भारत में स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है। इन इलाकों में सुरजना के बीज के इस्तेमाल की बात फैलाई जानी चाहिए। उनके दल द्वारा किए गए अध्ययन को आठ वर्ष बीत गए हैं परंतु धन की कमी के कारण उन स्थानों पर फालोअप नहीं हो पाया है।
सरकार भी इस मसले पर बहुत उत्साहित नहीं है। पेयजल आपूर्ति विभाग के उप सलाहकार डी. राजशेखर का कहना है कि ‘हमने इस तकनीक को औपचारिक रूप से प्रमाणित नहीं किया है। इसे एक उपलब्ध विकल्प के तौर पर स्वीकार किया जा सकता है। यह तो राज्य पर है कि वह इसकी कम लागत वाले सक्षम विकल्प के रूप में पहचान सुनिश्चित करें।’ (सप्रेस/सीएसई, डाउन टू अर्थ फीचर्स)
रविवार, 29 मई 2011
गुरुवार, 28 अप्रैल 2011
Dr. A.P.J. Abdul Kalam wants to provide RIGHT TO RECALL to Every Indian
NEW DELHI, March 5 : If the people had been provided the Right To Recall the elected candidate who had failed to do the aspirations of the people, it would help the nation to choose the right candidate. This was stated by the former President of India Dr. A.P.J. Abdul Kalam in the inaugural session of the National Consultation on Voters’ participation organised by the Election Commission of India held at Hyatt Regency, Bhikaji Cama Place here on Thursday.
Emphasizing on the youth as a crucial element of participation, the former President, A.P.J. Abdul Kalam, said: “The message from the youth, based on interactions with them, is that the youth of India want to live in an economically developed state. The leaders must speak about their vision for the nation and should work and succeed with integrity.” He further emphasised the importance of developmental politics.
He opined for introduction of new technology of unique identity document in the election process for ensuring free and fair election.
There were 10 roundtables at the consultation which pertained to fighting urban apathy, connecting with youth in the above 18 category, engaging civil society in voters’ education and electoral participation, challenges for women’s participation, using social marketing strategies to enhance participation, bringing the excluded population into the fold, and restructuring curriculum to inculcate values of democratic and electoral practices.
Chief Electoral Officer of Manipur P.C.Lawmkunga, Chief Editor of ISTV Yumnam Rupachandra and Prof Kshetri Bimola of Manipur University took part at the national consultation.
At the roundtable on the “Role of media in building voters’ awareness” moderated by Editor-in-Chief of The Hindu N. Ram; ISTV Chief Editor Yumnam Rupachandra as rapporteur submitted the recommendations and findings. Patrica Mukhim , Editor of Shillong Times and Manpreet Randhawa of Hindustan Times also participated at the roundtable.
In the discussion, it was noted that voter participation was described as voters participating in “an informed way in elections that are free, fair and socially just.” It was emphasised that developing a sense of citizenship, overcoming feelings of alienation and marginalisation was also integrally connected with voter participation.
Participants in the discussion said that there was also a need for greater and sustained interaction between the Election Commission of India and the media at various levels working journalists, senior editors and media proprietors.
It was pointed out that the print medium had been used extensively but invariably through paid advertisements. “This needs to change and all the media should do more in this regard on a voluntary and unpaid basis,” the group recommended.
Mr. Ram noted that paid news, as a phenomenon which came to the fore during the 2009 Lok Sabha elections and also in some Assembly polls, had given a “very bad name” to the press.