"कोका कोला अपराधी है. उसने नौ तरह के कानूनों का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया है.
उसके कारण स्थानीय निवासियों के लिए पीने का पानी भयावह संकट बन गया है.
इसलिए कोका कोला कंपनी पर 216 करोड़ की क्षतिपूर्ति का दावा बनता है."
यह पलक्कड के प्लाचीमाडा फैक्टरी का िवरोध करनेवाले किसी संगठन का प्रस्ताव नहीं है
बल्कि केरल सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट है जिसने माना है
कि प्लाचीमाडा फैक्टरी के कारण पलक्कड़ के स्थानीय निवासियों को पानी का भीषण संकट झेलना पड़ रहा है.
राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव के जयकुमार के नेतृत्व में गठित एक 14 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति ने
विश्व जल दिवस के मौके पर जारी की गयी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोका कोला की प्लाचीमाडा फैक्टरी में
पानी का दोहन किया गया है जिसके कारण स्थानीय निवासियों को भीषण जल संकट से गुजरना पड़ रहा है.
कंपनी की जिम्मेदारी बनती है कि वह क्षतिपूर्ति के लिए 216 करोड़ रूपये का भुगतान करे. अपनी रिपोर्ट में
कमेटी मुख्य रूप से जो नुकसान बताती है वह है-
कोका कोला की प्लाचीमाडा फैक्टरी में जमकर भूजल का दोहन हुआ और स्लज (कीचड़ तथा फैक्टरी से निकला पानी)
का कोई समुचित प्रबंधन नहीं किया गया.
कोका कोला कंपनी के इस जल दोहन के कारण भूजल का स्तर बहुत तेजी से नीचे गिरा है.
कंपनी से जो अपशिष्ट पदार्थ निकला उसने खेती योग्य जमीन को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाया है.
प्लाचीमाडा इलाके में कृषि पैदावार में गिरावट दर्ज की गयी है.
कंपनी ने जो अपशिष्ट पदार्थ फेंका उसमें शीशा, केडिमियम और क्रोमियम पाये गये हैं जिसका स्थानीय लोगों के
स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव हुआ है.
इलाके के लोगों के स्वास्थ्य में गिरावट आयी है और स्किन डिजीज, स्वांस के रोगों के शिकार लोगों की संख्या में
बढ़ोत्तरी हुई है.
पैदा होने वाले बच्चों के वजन में गिरावट आयी है.
गांव का पर्यावरण पूरी तरह से नष्ट हो गया है.
गांव के लोगों को टैंकर से पानी सप्लाई किया जा रहा है क्योंकि यहां के कुएं पूरी तरह से सूख गये हैं.
बूंदों में खुशियां खोलनेवाले कोका कोला ने स्थानीय लोगों के जीवन में ही जहर नहीं घोला. अपनी मनमानी करने के लिए
उसने किसी भी कानून, व्यवस्था और सरकारी आदेशों को कोई महत्व नहीं दिया. अपनी रिपोर्ट में कमेटी बताती है कि
कोका कोला कंपनी ने अपने इस कुख्यात बाटलिंग प्लांट में नौ तरह के कानूनों का उल्लंघन किया जिसमें जल प्रदूषण
अधिनियम, पर्यावरण सुरक्षा अधिनियम, अनुसूचित जाति, जनजाति अधिनियम, जमीन उपयोग कानून,
इंडियन पीनल कोड का उल्लंघन शामिल है.
कोका कोला की मनमानी पर पहली बार किसी राज्य सरकार ने निष्पक्षता से रिपोर्ट प्रस्तुत किया है जिसके लिए
निश्चित रूप से केरल सरकार बधाई की पात्र है. कोका कोला के जिस प्लाचीमाडा संयंत्र के बारे में यह रिपोर्ट आयी है उसको
बंद कराने के िलए लंबे समय तक इलाके में आंदोलन चला लेकिन तत्कालीन सरकारों ने कोई ध्यान नहीं दिया. अब इस
रिपोर्ट के बाद साफ हो गया है कि प्लाचीमाडा में कोका कोला ने अपराधी की तरह काम किया है और स्थानीय लोगों के हितों
के साथ खिलवाड़ किया है.
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