बुधवार, 29 सितंबर 2010

रासायनिक खेती से उपज बढ़ने का झूठ !

रासायनिक खेती से उपज बढ़ने का झूठ !

56 से घटकर 30 क्विंटल रह गई

यानि ये दावे पूरी तरह गलत हैं, झूठे हैं कि उपज बढ़ाने के लिए रासायनिक खेती की जरूरत है। सच तो यह है कि रासायनिक खेती से उपज घट रही है और देश में अनाज की कमी बढ़ रही है जबकि खेती को घाटे का सौदा बनाने के लिए खर्च जान बूझकर बढ़ाया जा रहा है। इस विदेशी प्रयास में स्वदेशी, सरलचित वैज्ञानिकों का इस्तेमाल किया जा रहा है।

रासायनिक खेती से घटती उपज के प्रमाण

हमने जितने किसानों से बात की, सबका कहना है कि आज से 20 साल पहले उपज आज से अधिक होती थी। तब प्रति बीघा 50 रु. से 100 रु. का खर्च भी नहीं होता था और आज हजारों रु. प्रति बीघा खर्च हो रहा है। एक किसान ने बतलाया कि 15-20 साल पहले उनके खेतों में 20-22 बोरी मक्की होती थी जो रासायनिक खेती से घटकर अब 9-10 बोरी रह गई है, खर्चे कई गुणा बढ़ गए हैं।

‘भारत स्वाभिमान’ के राष्टीय महामंत्री राजीव दीक्षित जी के अनुसार हज़ारों किसान जैविक खेती से प्रति एकड़ 56 क्विंटल तक धान उगा रहे हैं। इसी प्रकार गेंहूं भी 22 क्विंटल या इससे अधिक उगाई जा रही है। बढ़ती आबादी की जरूरतों को पूरा करने के लिए रासायनिक खेती की जरूरत की वकालत एक आधार हीन, तथ्यों से रहित बात है। हम विदेशी प्रचार के प्रभाव में इस झूठ को सच माने हुए हैं। जरा अपनी आंखों से सच को समझना पडे़गा।

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